लफ़्ज़ आते हैं और जाते हैं

लफ़्ज़ आते हैं और जाते हैं

फूल होंटों के थरथराते हैं

फूल ही फूल याद आते हैं

आप जब जब भी मुस्कुराते हैं

आप जा कर हवा से कह दीजे

फूल-पत्ते भी गुनगुनाते हैं

धूप बैठी रही मुंडेरों पर

और कुछ पंछी चहचहाते हैं

मुस्कुराहट खिली है चेहरे पर

अश्क आँखों में झिलमिलाते हैं

उन निगाहों के लक्ष्य पर मैं हूँ

ज़ख़्म ले कर के तीर आते हैं

ऐसे तैराक हम नहीं 'साजिद'

ख़ौफ़ गहराइयों से खाते हैं

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In Hindi By Famous Poet Sajid Premi. is written by Sajid Premi. Complete Poem in Hindi by Sajid Premi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.