Ghazals of Sajid Hameed
नाम | साजिद हमीद |
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अंग्रेज़ी नाम | Sajid Hameed |
ज़मीं की आँख ख़ाली है दिनों ब'अद
ज़हर में डूबी हुई सुर्ख़ हिकायात में गुम
रूह को पहले ख़ाकसार किया
रंग बिरंगे सपनों जैसी आँखें तेरी
नज़र को तीर कर के रौशनी को देखने का
नया रौशन सहीफ़ा दिख रहा नईं
मेरी आँखों में नूर भर देना
मैं चाहता हूँ कि हर शय यहाँ सँवर जाए
दर्द इतना भी नहीं है कि छुपा भी न सकूँ
आरज़ूएँ सब ख़ाक हुईं
आँख से टूट कर गिरी थी नींद