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बर्दाश्त की हदों से मिरा दिल गुज़र गया - साजिद असर कविता - Darsaal

बर्दाश्त की हदों से मिरा दिल गुज़र गया

बर्दाश्त की हदों से मिरा दिल गुज़र गया

आँधी उठी तो रेत का टीला बिखर गया

तहरीक जब जुमूद के साँचे में ढल गई

ऐसा लगा कि ख़ून रगों में ठहर गया

वो शख़्स जिस ने उम्र गुज़ारी थी धूप में

ठंडक की जाएदाद मिरे नाम कर गया

मैं उस को हम-ख़याल समझता रहा मगर

सीने में इख़्तिलाफ़ का चाक़ू उतर गया

पुर-हौल वाक़िआ'त के गुम्बद में हैं असीर

हम क्या करें हमारी दुआ का 'असर' गया

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In Hindi By Famous Poet Sajid Asar. is written by Sajid Asar. Complete Poem in Hindi by Sajid Asar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.