एक नज़्म
तवील बरसों के बा'द देखा
वो प्यारा मुशफ़िक़ हसीन चेहरा
कि जिस ने मुझ को
वो रौशनी दी
कि जिस से मैं ने
बहुत से टूटे दिलों को जोड़ा
वो रौशनी का हसीन चेहरा
उभरती शामों के साथ उभरा
मुझे नया गीत दे गया है
नया सवेरा
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तवील बरसों के बा'द देखा
वो प्यारा मुशफ़िक़ हसीन चेहरा
कि जिस ने मुझ को
वो रौशनी दी
कि जिस से मैं ने
बहुत से टूटे दिलों को जोड़ा
वो रौशनी का हसीन चेहरा
उभरती शामों के साथ उभरा
मुझे नया गीत दे गया है
नया सवेरा
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