Ghazals of Saim Ji
नाम | साइम जी |
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अंग्रेज़ी नाम | Saim Ji |
जन्म की तारीख | 1983 |
तुम्हारे लम्स को ख़ुद मैं उतार सकता हूँ
पहले जो हम चले तो फ़क़त यार तक चले
नज़र में वो उतारे जा रहे हैं
नहीं है याद कि वो याद कब नहीं आया
मुख़्तसर वक़्त है पर बातें कर
कहानी यूँ अधूरी चल रही है
कभी ज़ुहूर में आ जा कमाल होने दे
हम फ़क़ीरों की जेब ख़ाली है
दयार-ए-हब्स में बुझते हुए चराग़ों को
दयार-ए-दिल से किसी का गुज़र ज़रूरी था
चल तुझे यार घुमा लाता हूँ
बर-सर-ए-दर्द ज़माने का भी सोचा जाए
आँखों को ख़्वाब-नाक बनाना पड़ा मुझे