आज की रात वो आए हैं बड़ी देर के ब'अद
आज की रात बड़ी देर के ब'अद आई है
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वस्ल की बात और ही कुछ थी
दुश्मन गए तो कशमकश-ए-दोस्ती गई
'सैफ़' अंदाज़-ए-बयाँ रंग बदल देता है
लुत्फ़ फ़रमा सको तो आ जाओ
हसीन रातों जमील तारों की याद सी रह गई है बाक़ी
क़रीब मौत खड़ी है ज़रा ठहर जाओ
'सैफ़' पी कर भी तिश्नगी न गई
बोले वो कुछ ऐसी बे-रुख़ी से
हमें ख़बर है वो मेहमान एक रात का है
तुम ने दीवाना बनाया मुझ को
रात गुज़रे न दर्द-ए-दिल ठहरे