तूफ़ान आए शहर में या कोई ज़लज़ला
मुझ को किसी भी बात का अब डर नहीं रहा
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ख़ुशियाँ तमाम ग़म में वो तब्दील कर गया
ऐसा नहीं हम से कभी लग़्ज़िश नहीं होती
क्या पूछते हो दर्द के मारों की ज़िंदगी
वफ़ा ख़ुलूस मोहब्बत इबादतें उस की