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वो आरिज़ गुलाबी वो गेसू घनेरे - सैफ़ी प्रेमी कविता - Darsaal

वो आरिज़ गुलाबी वो गेसू घनेरे

वो आरिज़ गुलाबी वो गेसू घनेरे

इसी सम्त हैं दीदा-ओ-दिल के फेरे

उजाले की रूदाद वो दिल लिखेगा

कि जिस दिल से पसपा हुए हैं अँधेरे

बड़ा फ़र्क़ है तेरे मेरे जहाँ में

इधर ज़ुल्मत-ए-शब उधर हैं सवेरे

किसी से कभी आप-बीती न कहना

उमड आएँगे हर तरफ़ से अँधेरे

ख़ुलूस-ए-दिल-ओ-जाँ मिरी कम-निगाही

फ़रेब-ए-मुसलसल भी एहसान तेरे

वो इक वा'दा-ए-जाम-ए-सरशार-ओ-रंगीं

वो इक शाम लेकिन हज़ारों सवेरे

हर इक फ़ित्ना-गर देख ले रंग-ए-'सैफ़ी'

इसी आशियाने में सुख के बसेरे

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In Hindi By Famous Poet Saifi Premi. is written by Saifi Premi. Complete Poem in Hindi by Saifi Premi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.