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वो अब्र साया-फ़गन था जो रहमतों की तरह - सैफ़ अली कविता - Darsaal

वो अब्र साया-फ़गन था जो रहमतों की तरह

वो अब्र साया-फ़गन था जो रहमतों की तरह

किसे ख़बर थी नवाज़ेगा बिजलियों की तरह

उस इंक़लाब की दस्तक सुनाई देती है

जो बस्तियों को मिटा देगा ज़लज़लों की तरह

मिला है वो तो लगा है जनम जनम का रफ़ीक़

बिछड़ गया था जो बचपन के साथियों की तरह

मिरी है प्यास जो सहरा-ब-लब, शरर-ब-ज़बाँ

तुम्हारी आँख है गहरे समुंदरों की तरह

मैं उस के क़ुर्ब की ख़ुशबू से बन गया हूँ गुलाब

वो मेरे पास चहकती है बुलबुलों की तरह

सितम-ज़रीफ़ जजों ने है 'सैफ़' झुठलाया

हमारे ख़ून को झूटी शहादतों की तरह

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In Hindi By Famous Poet Saif Ali. is written by Saif Ali. Complete Poem in Hindi by Saif Ali. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.