नहीं हैं बोलने वाले जो चार सू अपने
हमारे कानों में ये शोर क्यूँ भरा हुआ है
Wasi Shah
Allama Iqbal
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Parveen Shakir
Rahat Indori
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Habib Jalib
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सुख़न-वर हूँ सुख़न-फ़हमी की लज़्ज़त बाँट देता हूँ
ढलक के गिरने से ये दिल मिरा डरा हुआ है
यही आदत तो है 'सादी' सुकून-ए-क़ल्ब का बाइस