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दिल इज़्तिराब में है जिगर इल्तिहाब में - साइब आसमी कविता - Darsaal

दिल इज़्तिराब में है जिगर इल्तिहाब में

दिल इज़्तिराब में है जिगर इल्तिहाब में

देखा है जब से मैं ने किसी को नक़ाब में

खुल जाने में वो कैफ़ और वो दिलकशी कहाँ

है जब किसी की शर्म-ओ-हया-ओ-हिजाब में

मैं खींचता हूँ हाथ सुकूँ की तलाश से

जब देखता हूँ एक जहाँ को अज़ाब में

ऐ शैख़ काश तू भी कभी पी के देखता

है तल्ख़ी-ए-हयात का दरमाँ शराब में

ये शोख़ियाँ ये ग़फ़लतें ये होश्यारियाँ

अंदाज़ सौ तरह के हैं तेरे शबाब में

क्या आज भी रहेंगी सितारों से चश्म-गीं

क्या आज भी न आएँगे वो माहताब में

इक इक अदा-ए-हुस्न हमारी नज़र में है

उल्फ़त की चाशनी है निगाह-ए-इताब में

'साइब' न पूछ हाल-ए-दिल-ए-ग़म-ज़दा न पूछ

हर साँस मेरी इन दिनों है इज़्तिराब में

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In Hindi By Famous Poet Saib Asmi. is written by Saib Asmi. Complete Poem in Hindi by Saib Asmi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.