फ़िक्र-ए-ज़र में बिलकता हुआ आदमी

फ़िक्र-ए-ज़र में बिलकता हुआ आदमी

अब कहाँ रह गया काम का आदमी

ज़िंदगी भी हक़ीक़त में इक जुर्म है

उम्र भर काटता है सज़ा आदमी

कौन अपनाए माज़ी की परछाइयाँ

कौन पैदा करे अब नया आदमी

ख़ूबसूरत सी इस पर कहानी लिखो

गाँव की गोरियाँ शहर का आदमी

थे बहुत लोग महफ़िल में बैठे हुए

उन में मुश्किल से इक मिल गया आदमी

ये कमाल-ए-ख़ुदी ही कहा जाएगा

ख़ुद ही दुनिया बनाने लगा आदमी

तुम भी 'साहिर' ज़रा इस से बच कर रहो

गाँव से है अलग शहर का आदमी

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In Hindi By Famous Poet Sahir Shevi. is written by Sahir Shevi. Complete Poem in Hindi by Sahir Shevi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.