ज़िंदगी-भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात
ज़िंदगी-भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात
एक अंजान हसीना से मुलाक़ात की रात
हाए वो रेशमीं ज़ुल्फ़ों से बरसता पानी
फूल से गालों पे रुकने को तरसता पानी
दिल में तूफ़ान उठाए हुए जज़्बात की रात
ज़िंदगी-भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात
डर के बिजली से अचानक वो लिपटना उस का
और फिर शरम से बल खा के सिमटना उस का
कभी देखी न सुनी ऐसी तिलिस्मात की रात
ज़िंदगी-भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात
सुर्ख़ आँचल को दबा कर जो निचोड़ा उस ने
दिल पे जलता हुआ इक तेरा सा छोड़ा उस ने
आग पानी में लगाते हुए हालात की रात
ज़िंदगी-भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात
मेरे नग़्मों में जो बस्ती है वो तस्वीर थी वो
नौजवानी के हसीं ख़्वाब की ताबीर थी वो
आसमानों से उतर आई थी जो रात की रात
ज़िंदगी-भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात
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