मतलब निकल गया है तो पहचानते नहीं
मतलब निकल गया है तो पहचानते नहीं
यूँ जा रहे हैं जैसे हमें जानते नहीं
अपनी ग़रज़ थी जब तू लिपटना क़ुबूल था
बाँहों के दाएरे में सिमटना क़ुबूल था
अब हम मना रहे हैं मगर मानते नहीं
हम ने तुम्हें पसंद किया क्या बुरा किया
रुत्बा ही कुछ बुलंद किया क्या बुरा किया
हर इक गली की ख़ाक तो हम छानते नहीं
मुँह फेर कर न जाओ हमारे क़रीब से
मिलता है कोई चाहने वाला नसीब से
इस तरह आशिक़ों पे कमाँ तानते नहीं
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