भूल सकता है भला कौन ये प्यारी आँखें
भूल सकता है भला कौन ये प्यारी आँखें
रंग में डूबी हुई नींद से भारी आँखें
मिरी हर सोच ने हर साँस ने चाहा है तुम्हें
जब से देखा है तुम्हें तब से सराहा है तुम्हें
बस गई हैं मिरी आँखों में तुम्हारी आँखें
तुम जो नज़रों को उठाओ तो सितारे झुक जाएँ
तुम जो पलकों को झुकाओ तो ज़माने रुक जाएँ
क्यूँ न बन जाएँ उन आँखों की पुजारी आँखें
जागती रातों को सपनों का ख़ज़ाना मिल जाए
तुम जो मिल जाओ तो जीने का बहाना मिल जाए
अपनी क़िस्मत पे करें नाज़ हमारी आँखें
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