अब वो करम करें कि सितम मैं नशे में हूँ
अब वो करम करें कि सितम मैं नशे में हूँ
मुझ को न कोई होश न ग़म मैं नशे में हूँ
सीने से बोझ उन के ग़मों का उतार के
आया हूँ आज अपनी जवानी को हार के
कहते हैं डगमगाते क़दम मैं नशे में हूँ
वो बेवफ़ा है अब भी ये दिल मानता नहीं
कम्बख़्त ना-समझ है उन्हें जानता नहीं
मैं आज तोड़ दूँगा भरम मैं नशे में हूँ
फ़ुर्सत नहीं है रोने-रुलाने के वास्ते
आए न उन की याद सताने के वास्ते
इस वक़्त दिल में दर्द है कम मैं नशे में हूँ
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