ज़मीं ने ख़ून उगला आसमाँ ने आग बरसाई
जब इंसानों के दिल बदले तो इंसानों पे क्या गुज़री
Allama Iqbal
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Habib Jalib
Anwar Masood
Gulzar
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(972) Peoples Rate This
ज़िंदगी-भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात
अक़ाएद वहम हैं मज़हब ख़याल-ए-ख़ाम है साक़ी
पर्बतों के पेड़ों पर शाम का बसेरा है
औरत ने जनम दिया मर्दों को मर्दों ने उसे बाज़ार दिया
किस दर्जा दिल-शिकन थे मोहब्बत के हादसे
सज़ा का हाल सुनाएँ जज़ा की बात करें
'गाँधी' हो या 'ग़ालिब' हो
तुम अपना रंज-ओ-ग़म अपनी परेशानी मुझे दे दो
संसार से भागे फिरते हो भगवान को तुम क्या पाओगे
ऐ शरीफ़ इंसानो
बहुत घुटन है
जान-ए-तन्हा पे गुज़र जाएँ हज़ारों सदमे