वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन
उसे इक ख़ूब-सूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा
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बरसो राम धड़ाके से
तेरी आवाज़
मादाम
जान-ए-तन्हा पे गुज़र जाएँ हज़ारों सदमे
भूले से मोहब्बत कर बैठा, नादाँ था बेचारा, दिल ही तो है
कोई दिल की चाहत से मजबूर है
मेरे गीत तुम्हारे हैं
चकले
कोई तो ऐसा घर होता जहाँ से प्यार मिल जाता
दूर रह कर न करो बात क़रीब आ जाओ
तुम मेरे लिए अब कोई इल्ज़ाम न ढूँडो
नया सफ़र है पुराने चराग़ गुल कर दो