उन के रुख़्सार पे ढलके हुए आँसू तौबा
मैं ने शबनम को भी शोलों पे मचलते देखा
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इंसाफ़ का तराज़ू जो हाथ में उठाए
चकले
ये दुनिया दो-रंगी है
वैसे तो तुम्हीं ने मुझे बर्बाद किया है
ख़ुद-कुशी से पहले
देखा है ज़िंदगी को कुछ इतना क़रीब से
तंग आ चुके हैं कशमकश-ए-ज़िंदगी से हम
दिल के मुआमले में नतीजे की फ़िक्र क्या
उमीद
तुझ को ख़बर नहीं मगर इक सादा-लौह को
तरब-ज़ारों पे क्या बीती सनम-ख़ानों पे क्या गुज़री
तेरी आवाज़