तंग आ चुके हैं कशमकश-ए-ज़िंदगी से हम
ठुकरा न दें जहाँ को कहीं बे-दिली से हम
Anwar Masood
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Rahat Indori
Jaun Eliya
Gulzar
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Wasi Shah
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ग़ैरों पे करम अपनों पे सितम
इस तरह ज़िंदगी ने दिया है हमारा साथ
तेरी आवाज़
अक़ाएद वहम हैं मज़हब ख़याल-ए-ख़ाम है साक़ी
दूर रह कर न करो बात क़रीब आ जाओ
मुफ़ाहमत
लम्ह-ए-ग़नीामत
यूँही दिल ने चाहा था रोना-रुलाना
हर तरह के जज़्बात का एलान हैं आँखें
अभी न छेड़ मोहब्बत के गीत ऐ मुतरिब
भूले से मोहब्बत कर बैठा, नादाँ था बेचारा, दिल ही तो है
ये ज़मीं किस क़दर सजाई गई