नालाँ हूँ मैं बेदारी-ए-एहसास के हाथों
दुनिया मिरे अफ़्कार की दुनिया नहीं होती
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Jaun Eliya
Wasi Shah
Anwar Masood
Parveen Shakir
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(704) Peoples Rate This
सर-ज़मीन-ए-यास
अक़ाएद वहम हैं मज़हब ख़याल-ए-ख़ाम है साक़ी
कोई दिल की चाहत से मजबूर है
ये ज़ुल्फ़ अगर खुल के बिखर जाए तो अच्छा
तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही
चकले
जज़्बात भी हिन्दू होते हैं चाहत भी मुसलमाँ होती है
नफ़स के लोच में रम ही नहीं कुछ और भी है
आप दौलत के तराज़ू में दिलों को तौलें
ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहाँ
कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया
कुछ बातें