जज़्बात भी हिन्दू होते हैं चाहत भी मुसलमाँ होती है
दुनिया का इशारा था लेकिन समझा न इशारा दिल ही तो है
Javed Akhtar
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Gulzar
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
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ले दे के अपने पास फ़क़त इक नज़र तो है
फिर न कीजे मिरी गुस्ताख़-निगाही का गिला
शिकस्त
शुआ-ए-फ़र्दा
मुझे गले से लगा लो बहुत उदास हूँ मैं
संसार की हर शय का इतना ही फ़साना है
बहुत घुटन है
हम से अगर है तर्क-ए-तअल्लुक़ तो क्या हुआ
धरती की सुलगती छाती से बेचैन शरारे पूछते हैं
शहकार
एक मंज़र
रंगों में तेरा अक्स ढला तू न ढल सकी