जान-ए-तन्हा पे गुज़र जाएँ हज़ारों सदमे
आँख से अश्क रवाँ हों ये ज़रूरी तो नहीं
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Gulzar
Rahat Indori
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
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इस रेंगती हयात का कब तक उठाएँ बार
तिरी दुनिया में जीने से तो बेहतर है कि मर जाएँ
हम से अगर है तर्क-ए-तअल्लुक़ तो क्या हुआ
शहकार
फ़रार
शर्मा के यूँ न देख अदा के मक़ाम से
अब वो करम करें कि सितम मैं नशे में हूँ
माज़ूरी
तुलू-ए-इश्तिराकियत
एक शाम
मैं जब भी अकेली होती हूँ तुम चुपके से आ जाते हो
हर-चंद मिरी क़ुव्वत-ए-गुफ़्तार है महबूस