हज़ार बर्क़ गिरे लाख आँधियाँ उट्ठें
वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Gulzar
Anwar Masood
Rahat Indori
Parveen Shakir
Habib Jalib
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
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औरत ने जनम दिया मर्दों को मर्दों ने उसे बाज़ार दिया
गुलशन गुलशन फूल
इतनी हसीन इतनी जवाँ रात क्या करें
दीवारों का जंगल जिस का आबादी है नाम
हर तरह के जज़्बात का एलान हैं आँखें
जुर्म-ए-उल्फ़त पे हमें लोग सज़ा देते हैं
तुझ को ख़बर नहीं मगर इक सादा-लौह को
आओ कि कोई ख़्वाब बुनें
फ़न जो नादार तक नहीं पहुँचा
मायूस तो हूँ वा'दे से तिरे
देखा तो था यूँही किसी ग़फ़लत-शिआर ने