दुनिया ने तजरबात ओ हवादिस की शक्ल में
जो कुछ मुझे दिया है वो लौटा रहा हूँ मैं
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Anwar Masood
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Gulzar
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(2567) Peoples Rate This
जब तुम से मोहब्बत की हम ने तब जा के कहीं ये राज़ खुला
इक और भी है मुंसिफ़
बस अब तो दामन-ए-दिल छोड़ दो बेकार उम्मीदो
अब कोई गुलशन न उजड़े अब वतन आज़ाद है
जीवन के सफ़र में राही
तुम अपना रंज-ओ-ग़म अपनी परेशानी मुझे दे दो
सर-ज़मीन-ए-यास
हर तरह के जज़्बात का एलान हैं आँखें
इक शहंशाह ने दौलत का सहारा ले कर
ख़ुदा-ए-बर्तर तिरी ज़मीं पर ज़मीं की ख़ातिर ये जंग क्यूँ है
दीवारों का जंगल जिस का आबादी है नाम
नया सफ़र है पुराने चराग़ गुल कर दो