औरत ने जनम दिया मर्दों को मर्दों ने उसे बाज़ार दिया
जब जी चाहा मसला कुचला जब जी चाहा धुत्कार दिया
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
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Parveen Shakir
Jaun Eliya
Gulzar
Rahat Indori
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संसार से भागे फिरते हो भगवान को तुम क्या पाओगे
सर-ज़मीन-ए-यास
हर क़दम मरहला-दार-ओ-सलीब आज भी है
वैसे तो तुम्हीं ने मुझे बर्बाद किया है
बहुत घुटन है कोई सूरत-ए-बयाँ निकले
यूँही दिल ने चाहा था रोना-रुलाना
हर तरह के जज़्बात का एलान हैं आँखें
इस तरह ज़िंदगी ने दिया है हमारा साथ
मगर ज़ुल्म के ख़िलाफ़
मुफ़ाहमत
नालाँ हूँ मैं बेदारी-ए-एहसास के हाथों
कुछ बातें