आप दौलत के तराज़ू में दिलों को तौलें
हम मोहब्बत से मोहब्बत का सिला देते हैं
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तुम हुस्न की ख़ुद इक दुनिया हो शायद ये तुम्हें मालूम नहीं
ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहाँ
ख़ुद्दारियों के ख़ून को अर्ज़ां न कर सके
मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया
तुझे भुला देंगे अपने दिल से ये फ़ैसला तो किया है लेकिन
सज़ा का हाल सुनाएँ जज़ा की बात करें
मैं ने चाँद और सितारों की तमन्ना की थी
आज
हर क़दम मरहला-दार-ओ-सलीब आज भी है
अहल-ए-दिल और भी हैं
तुम्हारे अहद-ए-वफ़ा को मैं अहद क्या समझूँ
अपनी तबाहियों का मुझे कोई ग़म नहीं