चंद कलियाँ नशात की चुन कर
मुद्दतों महव-ए-यास रहता हूँ
तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही
तुझ से मिल कर उदास रहता हूँ
Ahmad Faraz
Gulzar
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Wasi Shah
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(827) Peoples Rate This
आवाज़-ए-आदम
जो मिल गया उसी को मुक़द्दर समझ लिया
इंतिज़ार
चंद कलियाँ नशात की चुन कर मुद्दतों महव-ए-यास रहता हूँ
धरती की सुलगती छाती से बेचैन शरारे पूछते हैं
इक शहंशाह ने दौलत का सहारा ले कर
हवस-नसीब नज़र को कहीं क़रार नहीं
अँधेरी शब में भी तामीर-ए-आशियाँ न रुके
मुझे सोचने दे
बे पिए ही शराब से नफ़रत
अहल-ए-दिल और भी हैं
देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब से