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ख़ाना-आबादी - साहिर लुधियानवी कविता - Darsaal

ख़ाना-आबादी

तराने गूँज उठे हैं फ़ज़ा में शादयानों के

हुआ है इत्र-आगीं ज़र्रा ज़र्रा मुस्कुराता है

मगर दूर एक अफ़्सुर्दा मकाँ में सर्द बिस्तर पर

कोई दिल है कि हर आहट पे यूँ ही चौंक जाता है

मिरी आँखों में आँसू आ गए नादीदा आँखों के

मिरे दिल में कोई ग़मगीन नग़्मा सरसराता है

ये रस्म-ए-इन्क़िताअ' अहद-ए-उल्फ़त ये हयात-ए-नौ

मोहब्बत रो रही है और तमद्दुन मुस्कुराता है

ये शादी ख़ाना-आबादी हो मेरे मोहतरम भाई

मुबारक कह नहीं सकता मिरा दिल काँप जाता है

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In Hindi By Famous Poet Sahir Ludhianvi. is written by Sahir Ludhianvi. Complete Poem in Hindi by Sahir Ludhianvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.