आवाज़-ए-आदम
दबेगी कब तलक आवाज़-ए-आदम हम भी देखेंगे
रुकेंगे कब तलक जज़्बात-ए-बरहम हम भी देखेंगे
चलो यूँही सही ये जौर-ए-पैहम हम भी देखेंगे
दर-ए-ज़िंदाँ से देखें या उरूज-ए-दार से देखें
तुम्हें रुस्वा सर-ए-बाज़ार-ए-आलम हम भी देखेंगे
ज़रा दम लो मआल-ए-शौकत-ए-जम हम भी देखेंगे
ये ज़ोम-ए-क़ुव्वत-ए-फ़ौलाद-ओ-आहन देख लो तुम भी
ब-फ़ैज़-ए-जज़्बा-ए-ईमान-ए-मोहकम हम भी देखेंगे
जबीन-ए-कज-कुलाही ख़ाक पर ख़म हम भी देखेंगे
मुकाफ़ात-ए-अमल तारीख़-ए-इंसाँ की रिवायत है
करोगे कब तलक नावक फ़राहम हम भी देखेंगे
कहाँ तक है तुम्हारे ज़ुल्म में दम हम भी देखेंगे
ये हंगाम-ए-विदा-ए-शब है ऐ ज़ुल्मत के फ़रज़ंदो
सहर के दोश पर गुलनार परचम हम भी देखेंगे
तुम्हें भी देखना होगा ये आलम हम भी देखेंगे
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