Ghazals of Sahir Ludhianvi (page 2)
नाम | साहिर लुधियानवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Sahir Ludhianvi |
जन्म की तारीख | 1921 |
मौत की तिथि | 1980 |
जन्म स्थान | Mumbai |
इतनी हसीन इतनी जवाँ रात क्या करें
इस तरफ़ से गुज़रे थे क़ाफ़िले बहारों के
हवस-नसीब नज़र को कहीं क़रार नहीं
हर-चंद मिरी क़ुव्वत-ए-गुफ़्तार है महबूस
हर तरह के जज़्बात का एलान हैं आँखें
हर क़दम मरहला-दार-ओ-सलीब आज भी है
गुलशन गुलशन फूल
गो मसलक-ए-तस्लीम-ओ-रज़ा भी है कोई चीज़
फ़न जो नादार तक नहीं पहुँचा
दूर रह कर न करो बात क़रीब आ जाओ
देखा तो था यूँही किसी ग़फ़लत-शिआर ने
देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब से
देखा है ज़िंदगी को कुछ इतना क़रीब से
चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है आँखों में सुरूर आ जाता है
बुझा दिए हैं ख़ुद अपने हाथों मोहब्बतों के दिए जला के
भूले से मोहब्बत कर बैठा, नादाँ था बेचारा, दिल ही तो है
भड़का रहे हैं आग लब-ए-नग़्मागर से हम
बरबाद-ए-मोहब्बत की दुआ साथ लिए जा
बहुत घुटन है कोई सूरत-ए-बयाँ निकले
अक़ाएद वहम हैं मज़हब ख़याल-ए-ख़ाम है साक़ी
अपना दिल पेश करूँ अपनी वफ़ा पेश करूँ
अहल-ए-दिल और भी हैं अहल-ए-वफ़ा और भी हैं
अब कोई गुलशन न उजड़े अब वतन आज़ाद है
अब आएँ या न आएँ इधर पूछते चलो