झूमी है हर इक शाख़ सबा रक़्साँ है
झूमी है हर इक शाख़ सबा रक़्साँ है
मेहर-ओ-मह-ओ-अंजुम की फ़ज़ा रक़्साँ है
दोशीज़ा-ए-फ़ित्रत का वरूद-ए-मसऊद
दीवाने के होंटों पे दुआ रक़्साँ है
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झूमी है हर इक शाख़ सबा रक़्साँ है
मेहर-ओ-मह-ओ-अंजुम की फ़ज़ा रक़्साँ है
दोशीज़ा-ए-फ़ित्रत का वरूद-ए-मसऊद
दीवाने के होंटों पे दुआ रक़्साँ है
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