अब तो एहसास-ए-तमन्ना भी नहीं
क़ाफ़िला दिल का लुटा हो जैसे
Javed Akhtar
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Jaun Eliya
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Wasi Shah
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Sharabi Poetry
Friends Poetry
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जब बिगड़ते हैं बात बात पे वो
दिल वो सहरा है कि जिस में रात दिन
हम को अग़्यार का गिला क्या है
बस फ़र्क़ इस क़दर है गुनाह ओ सवाब में
टालने से वक़्त क्या टलता रहा
नई सुब्ह
कौन कहता है मोहब्बत की ज़बाँ होती है
दौर-ए-चर्ख़-ए-कबूद जारी है
वो जिस को हम ने अपनाया बहुत है
सदा-ए-जावेदाँ
हम क़रीब आ कर और दूर हुए
तैरेगा फ़ज़ा में जो समुंदर न मिलेगा