आप से क्या दोस्ती होने लगी
गाँधी
इश्क़ क्या चीज़ है ये पूछिए परवाने से
तुम न तौबा करो जफ़ाओं से
दर्द-ए-दिल भी कभी लहू होगा
नई सुब्ह
सदा-ए-जावेदाँ
दिल वो सहरा है कि जिस में रात दिन
वो जिस को हम ने अपनाया बहुत है
कौन कहता है मोहब्बत की ज़बाँ होती है
झूमी है हर इक शाख़ सबा रक़्साँ है
दौर-ए-चर्ख़-ए-कबूद जारी है