हम को मस्ती ओ ख़्वारी आई
हम को मस्ती ओ ख़्वारी आई
तुम को दुनिया-दारी आई
दिल-जूई दिलदारी आई
तुम को भी ये अय्यारी आई
फूल को हम ने जब भी छुआ है
हाथ में इक चिंगारी आई
साक़ी गुम ख़ाली मय-ख़ाना
कैसी ये बाद-ए-बहारी आई
हुस्न वही है हुस्न कि जिस को
सादगी ओ पुरकारी आई
मुश्किल जब आसान हुई तो
उल्फ़त में दुश्वारी आई
मक़्तल में इक शोर बपा है
आई मेरी बारी आई
हुस्न की हर मासूम नज़र से
दिल पर ज़र्ब-ए-कारी आई
सुब्ह से दिल मसरूर है 'साहिर'
रात ये हम पर भारी आई
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