सर-ए-अर्श-ए-बरीं है ज़ेर-ए-पा-ए-पीर-ए-मय-ख़ाना
सर-ए-अर्श-ए-बरीं है ज़ेर-ए-पा-ए-पीर-ए-मय-ख़ाना
कमाल-ए-औज पर है हुस्न-ए-आलमगीर-ए-मय-ख़ाना
फ़रोग़-ए-बादा से रौशन हुई तक़दीर-ए-मय-ख़ाना
कि है हर बादा-कश रौशन चराग़-ए-पीर-ए-मय-ख़ाना
मैं दीवाना हूँ और दैर-ओ-हरम से मुझ को वहशत है
पड़ी रहने दो मेरे पाँव में ज़ंजीर-ए-मय-ख़ाना
तसव्वुर दिल में रहता है किसी की चश्म-ए-मय-गूँ का
खींची रहती है आँखों में मिरे तस्वीर-ए-मय-ख़ाना
ज़ियारत को चले हैं शैख़-ओ-ज़ाहिद फ़ी-अमानिल्लाह
ख़ुदा की शान है कुछ फिर गई तक़दीर-ए-मय-ख़ाना
परी शीशे में और साग़र में है ख़ुर्शीद-ए-नूरंगीं
वो है तस्ख़ीर-ए-मय-ख़ाना ये है तनवीर-ए-मयख़ाना
जो पहुँचा मय-कदे में छोड़ कर दैर-ओ-हरम 'साहिर'
झुका सर ज़ौक़-ए-मस्ती में ज़हे तासीर-ए-मय-ख़ाना
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