रुस्वा-ए-इश्क़ है तिरा शैदा कहें जिसे
रुस्वा-ए-इश्क़ है तिरा शैदा कहें जिसे
उश्शाक़ में मिसाल है रुस्वा कहें जिसे
सीना चमन है ग़ुंचा-ए-दिल है शगुफ़्ता-दिल
तेरी निगाह है चमन-आरा कहें जिसे
ग़म-परवरीदा है दिल-ए-शोरीदगान-ए-इश्क़
फ़ुर्क़त की एक रात है दुनिया कहें जिसे
मंसूब कुफ़्र दैर से ईमाँ हरम से है
इक रह गया हूँ मैं कि तुम्हारा कहें जिसे
हम ग़ैर-मो'तबर सही और ग़ैर मो'तबर
कहना बजा है आप का जैसा कहें जिसे
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