काम इस दुनिया में आ कर हम ने क्या अच्छा किया
काम इस दुनिया में आ कर हम ने क्या अच्छा किया
हुस्न को बे-पर्दा नाम-ए-इश्क़ को रुस्वा किया
हुस्न ने और इश्क़ ने हंगामा इक बरपा किया
शम्अ को रौशन किया परवाने को शैदा किया
बे-तमन्नाई में आसूदा था यारब क्या किया
किस लिए मेरे दिल-ए-दीवाना को दाना किया
एक जज़्बा था अज़ल से गोशा-ए-दिल में निहाँ
इश्क़ को इस हुस्न के बाज़ार ने रुस्वा किया
तेरी क़िस्मत का नविश्ता था किसी का क्या क़ुसूर
तेरे आगे आ गया ए दिल जो था तेरा किया
नार ने की सर-कशी रोज़-ए-अज़ल जब इख़्तियार
ख़ाक को बख़्शा शरफ़ यानी बशर पैदा किया
दिल को परवाना बनाया कर दिया जाँ को निसार
शम्अ'-रू के इश्क़ में हम क्या कहें क्या क्या किया
जो किया हुक्म-ए-क़ज़ा से हम ने 'साहिर' था बजा
हम ने अपनी राय से जो कुछ किया बे-जा किया
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