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जुनूँ के जोश में जिस ने मोहब्बत को हुनर जाना - साहिर देहल्वी कविता - Darsaal

जुनूँ के जोश में जिस ने मोहब्बत को हुनर जाना

जुनूँ के जोश में जिस ने मोहब्बत को हुनर जाना

सुबुकदोशी समझता है वो इस सौदा में सर जाना

किसी का नाज़ था अंदाज़ था अब सर-ब-सर जाना

उधर चढ़ना निगाहों में इधर दिल में उतर जाना

तसव्वुर ख़ाल-ओ-आरिज़ का तमाशा-ए-दो-आलम है

यहाँ आँखों में रहना है वहाँ दिल में उतर जाना

जुनून-ए-इश्क़ में कब तन-बदन का होश रहता है

बढ़ा जब जोश-ए-सौदा हम ने सर को दर्द-ए-सर जाना

हवस-बाज़ी नहीं ये इश्क़-बाज़ी है ख़ुदा शाहिद

मोहब्बत में है शर्त-ए-अव्वलीं जी से गुज़र जाना

मिटाई अपनी हस्ती हम ने इश्क़-ए-जान-ए-जानाँ में

फ़ना में देख कर रंग-ए-बक़ा को मो'तबर जाना

सरापा-ए-वफ़ा इक ज़िंदा-ए-जावेद ओ बे-ग़म है

तकल्लुफ़-बरतरफ़ ग़म क्या है जीना और मर जाना

हमारी उम्र का पैमाना अब लबरेज़ है 'साहिर'

छलकना फ़र्ज़ हो जाता है पैमाने का भर जाना

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In Hindi By Famous Poet Sahir Dehlavi. is written by Sahir Dehlavi. Complete Poem in Hindi by Sahir Dehlavi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.