जसद ने जान से पूछा कि क़ल्ब-ए-बे-रिया क्या है
जसद ने जान से पूछा कि क़ल्ब-ए-बे-रिया क्या है
ख़िताब आया कि आईने में जौहर के सिवा क्या है
अयाँ आईने में है सूरत-ए-मअ'नी-सफ़ा क्या है
निहाँ तस्कीन में है इज़्तिराब-ए-दिल रिया क्या है
मिटाना आप को नाबूद हो जाना फ़ना क्या है
समाना आप में और ख़ुद ब-ख़ुद होना बक़ा क्या है
दो-आलम जल्वा-गाह-ए-हुस्न में ऐन-ए-बसीरत में
ये अक्स-ए-शख़्स है आईने में सूरत-नुमा क्या है
वो यकता ज़ात है ऐन-ए-सुरूर-ए-इल्म-ओ-हक़ ऐ दिल
निहाँ कसरत में वहदत हो गई है मा-सिवा क्या है
क़िदम है ज़ात-ए-वाहिद हाल है माज़ी-ओ-मुस्तक़बिल
अज़ल से ता अबद की इब्तिदा क्या इंतिहा क्या है
मिटा कर दिल से पिंदार-ए-ख़ुदी इंसाफ़ से देखो
कि बेज़ौक़-ए-तमन्ना हस्ती-ए-बीम-ओ-रजा क्या है
न थे आपे में मूसी वर्ना उन का हौसला क्या था
जो बोल उठते कि आ पर्दा से बाहर देखता क्या है
तजल्ली बन गई 'साहिर' नक़ाब-रू-ए-जान-ए-जाँ
कि दीदन हुक्म-ए-ना-दीदन है यारब माजरा क्या है
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