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हौसला वज्ह-ए-तपिश-हा-ए-दिल-ओ-जाँ न हुआ - साहिर देहल्वी कविता - Darsaal

हौसला वज्ह-ए-तपिश-हा-ए-दिल-ओ-जाँ न हुआ

हौसला वज्ह-ए-तपिश-हा-ए-दिल-ओ-जाँ न हुआ

शोला-ए-शम्अ' तिरी बज़्म में रक़्साँ न हुआ

हुस्न था मस्त-ए-अज़ल जाम-ए-अना लैला से

तन की उर्यानी से मजनूँ कोई उर्यां न हुआ

लब-ए-मंसूर से दी किस ने अनल-हक़ की सदा

तू अगर पर्दा-ए-पिंदार में पिन्हाँ न हुआ

हम रहे चश्म-ए-इनायत से हमेशा महरूम

दिल-नशीं तीर-ए-नज़र का कोई पैकाँ न हुआ

चश्म-ए-जानाँ में समाते हैं समाने वाले

मौत से आँख लड़ाना कोई आसाँ न हुआ

दिल है बुत-ख़ाना-ए-असनाम-ए-ख़याली 'साहिर'

तू वो काफ़िर है कि भूले से मुसलमाँ न हुआ

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In Hindi By Famous Poet Sahir Dehlavi. is written by Sahir Dehlavi. Complete Poem in Hindi by Sahir Dehlavi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.