शेर गुफा से निकलेगा
शोर मचेगा जंगल में
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कल तलक सहरा बसा था आँख में
अब के वो ऐसे सफ़र पर क्या गए
किस तसव्वुर के तहत रब्त की मंज़िल में रहा
बे-घरी
घर
बकरी ''में-में'' करती है
नौ-ब-नौ एक उमडता हुआ तूफ़ान था मैं
धूप थी साया उठा कर रख दिया
क्या परिंदे लौट कर आए नहीं
आँख से आँसू टपका होगा
किसी आईने का
चीख़ती गाती हवा का शोर था