मकड़ियों ने जब कहीं जाला तना
मक्खियों ने शोर बरपा कर दिया
Wasi Shah
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Gulzar
Rahat Indori
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Javed Akhtar
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(493) Peoples Rate This
ख़ुद को ख़ुद में तहलील करो
उन से ऐ दोस्त मिरा यूँ कोई रिश्ता तो न था
क्या परिंदे लौट कर आए नहीं
नौ-ब-नौ एक उमडता हुआ तूफ़ान था मैं
आज कुआँ भी चीख़ उठा है
नक़्श डरेगा जंगल में
बकरी ''में-में'' करती है
मैं लबादा ओढ़ कर जाने लगा
किसी आईने का
चीख़ती गाती हवा का शोर था
शेर गुफा से निकलेगा