अब के वो ऐसे सफ़र पर क्या गए
फिर दोबारा लौट कर आए नहीं
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घर
आँख से आँसू टपका होगा
आज कुआँ भी चीख़ उठा है
मकड़ियों ने जब कहीं जाला तना
ख़ुद को ख़ुद में तहलील करो
मैं लबादा ओढ़ कर जाने लगा
आँसू
कल तलक सहरा बसा था आँख में
किसी आईने का
उन से ऐ दोस्त मिरा यूँ कोई रिश्ता तो न था
शफ़्फ़ाफ़ रंग