जब तक निशान पुख़्ता नहीं हो जाता
आँसू नहीं कहलाता
आँसू सय्याल सूरत नहीं
जामिदाना वस्फ़ का भी हामिल है
क़ीमत-ए-अर्ज़-ए-हुनर की ख़ातिर
इस्तक़ामत, पुख़्तगी और गिरफ़्तगी-ए-फ़िक्र लाज़िम है
वक़्त हथेली पर ठहरी शबनम को आईना क्या दिखलाता
शबनम ख़ुद मुत्तसिफ़ है आईने की
नविश्ता है वक़्त की