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नक़्श डरेगा जंगल में - साहिल अहमद कविता - Darsaal

नक़्श डरेगा जंगल में

नक़्श डरेगा जंगल में

साँप मिलेगा जंगल में

वहशी जलती उँगली से

पेड़ गिनेगा जंगल में

टूट के साया पेड़ों से

रक़्स करेगा जंगल में

ख़ुद-रौ पौदे आँसू के

फूल खिलेगा जंगल में

चलता-फिरता साया भी

अब न मिलेगा जंगल में

शेर गुफा से निकलेगा

शोर मचेगा जंगल में

नख़्ल-ए-मुरव्वत कटते ही

शहर उगेगा जंगल में

बैर न करना मिट्टी से

क़र्ज़ उगेगा जंगल में

बूढ़ा तोता किस किस को

याद करेगा जंगल में

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In Hindi By Famous Poet Sahil Ahmad. is written by Sahil Ahmad. Complete Poem in Hindi by Sahil Ahmad. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.