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सुख़न को तूल न दे अपनी एहतियाज बता - सहबा वहीद कविता - Darsaal

सुख़न को तूल न दे अपनी एहतियाज बता

सुख़न को तूल न दे अपनी एहतियाज बता

उठा न दिल की कोई बात कल पे आज बता

खड़ा हूँ दर पे सरासीमगी के आलम में

वो मुझ से पूछ रहा है कि काम-काज बता

मुफ़ाहमत मिरी कोशिश सुपुर्दगी तिरा काम

तू अपने शहर-ए-जुनूँ का मुझे रिवाज बता

ख़ुद अपने हाथ से अपनी उड़ा चुका हूँ ख़ाक

अब और क्या हो मुकाफ़ात-ए-एहतिजाज बता

किताब-ए-दिल को मैं तरतीब दे रहा हूँ फिर

हवा-ए-ताज़ा है कैसा तिरा मिज़ाज बता

वो गाह शोला है 'सहबा' तो गाह शबनम है

कहीं पे देखा है ऐसा भी इम्तिज़ाज बता

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In Hindi By Famous Poet Sahba Waheed. is written by Sahba Waheed. Complete Poem in Hindi by Sahba Waheed. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.