Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_d0255c502f707ce8b11a6879e3f5bc8b, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
शब-ए-सुरूर नई दास्ताँ विसाल-ओ-फ़िराक़ - सहबा वहीद कविता - Darsaal

शब-ए-सुरूर नई दास्ताँ विसाल-ओ-फ़िराक़

शब-ए-सुरूर नई दास्ताँ विसाल-ओ-फ़िराक़

न फ़िक्र-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ दरमियाँ विसाल-ओ-फ़िराक़

मैं उस से बात करूँ भी तो किस हवाले से

कि मुस्तआ'र मकाँ में कहाँ विसाल-ओ-फ़िराक़

उसी के नाम पे जीते हैं और मरते हैं

यही है क़िस्सा-ए-आशुफ़्तगाँ विसाल-ओ-फ़िराक़

वो कह गया है कि आऊँगा मुंतज़िर रहियो

मैं मुब्तला-ए-यक़ीन-ओ-गुमाँ विसाल-ओ-फ़िराक़

वो पढ़ रहा था बड़े ग़ौर से लहू की सरिश्त

हर एक बूँद का सिर्र-ए-निहाँ विसाल-ओ-फ़िराक़

हवा-ए-सुब्ह न जाने कहाँ कहाँ ले जाए

शब-ए-मुराद शब-ए-दरमियाँ विसाल-ओ-फ़िराक़

मैं उस को हाथ लगाता भी किस तरह 'सहबा'

अजीब कश्मकश-ए-जाँ अज़ाँ विसाल-ओ-फ़िराक़

(518) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Sahba Waheed. is written by Sahba Waheed. Complete Poem in Hindi by Sahba Waheed. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.