इस बे तुलूअ' शब में क्या तालेअ'-आज़माई
इस बे तुलूअ' शब में क्या तालेअ'-आज़माई
ख़ुर्शीद लाख उभरे लेकिन सहर न आई
कब तक फ़रेब-ए-जादा कब तक गुबार-ए-मंज़िल
ऐ दर्द-ए-ना-तमामी ऐ रंज-ए-नारसाई
हर गुल का चाक सीना गुलज़ार आफ़रीना
अब के अजब ख़ज़ीना तेरी बहार लाई
साहिल पे ख़ेमा-कश हैं आसूदगान-साहिल
तूफ़ान कर रहे हैं कश्ती की ना-ख़ुदाई
हर आह कह रही है इक दर्द का फ़साना
हर अश्क लिख रहा है इक क़िस्सा-ए-जुदाई
सहबा कहाँ है यारो कोई उसे पुकारो
वीरान हो रहा है कुंज-ए-ग़ज़ल-सराई
(663) Peoples Rate This