अस्ल में मौत तो ख़ुशियों की घड़ी है यारो
अस्ल में मौत तो ख़ुशियों की घड़ी है यारो
ज़िंदगी कर्ब है अश्कों की झड़ी है यारो
कोई रोता ही नहीं ग़ैर की बर्बादी पर
हर बशर को यहाँ अपनी ही पड़ी है यारो
वक़्त आने पे हर इक शख़्स दग़ा देता है
ऐसा लगता है क़यामत की घड़ी है यारो
अपने अंजाम से ग़ाफ़िल न रहो फ़िक्र करो
मौत फ़रमान लिए सर पे खड़ी है यारो
मुस्कुरा कर भी अगर कोई कभी मिलता है
इस ज़माने में यही बात बड़ी है यारो
राह चलतों को ये पैग़ाम 'सहर' देता है
हुस्न-ए-किरदार तो जादू की छड़ी है यारो
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